तिलस्मी किले का रहस्य भाग_ 26
कहानी _**तिलस्मी किले का रहस्य**
भाग _ 26
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
त्रिमुहानी सुरंग के मुहाने पर दोनो गुंडों के दल ने एक दूसरे से सुलह कर लिया।जिसने बम विस्फोट किया था उसने कहा _ खजाना के लिए आपस में लड़ना ठीक नहीं है।पुलिस कही न आ जाए इससे पहले हमलोग मिलकर पहले प्रताप नाम के लड़के की तलाश करते है फिर खजाना खोजकर उसगुणका दो हिस्सा कएर लेंगे और आपस में बांट लेंगे।
दूसरे गुंडों के दल के नेता ने कहा _ चलो ठीक है लेकिन खजाना मिलने के बाद धोखा मत देना वरना कोई नही बच पायेगा।वैसे भी दोनो दल के काफी लोग मारे जा चुके है।इसके बाद दोनो दल के गुंडे आपस में मिलकर खजाना के लिए सावधानी से निकल पड़े।
तीनो साधुओं को डांटते हुए उस नकाबपोश नेता ने कहा तुमलोग एकदम निकम्मे हो। एक मामूली लड़के को नही संभाल नहीं पाए।वो चकमा देकर भाग गया।अब खजाने तक कौन ले जायेगा।तुम लोग तो सालो से झक मारते रह गए ।किले की सभी सुरंगों और तहखानों की खाक छान लिया लेकिन खजाना अब तक नही ढूंढ पाए।एक वो है एक मामूली लड़का जिसने एक दिन में खजाना ढूंढ लिया।
यही तो चमत्कार है नेता जी पता नही उसमें जरूर कोई ईश्वरीय शक्ति है। वरना आजतक खजाना तक पहुंचने वाला कोई जिंदा नही बचा।क्योंकि मैंने जितने लोगो को वहा का पता लगाने भेजा कोई भी दुबारा लौट कर नहीं आया।इन तिलस्मी सुरंगों और तहखानों से मेरे बिना कोई खजाना लेकर भाग ही नही सकता।
बकवास बंद करो और चलो उस लड़के को ढूंढो।उस नकाबपोश ने कहा ।उनके हाथो में बंदूके तनी हुई थी।
कुछ दूर जाने पर एसपी को भिड़ंत उन दोनो गुंडों के गिरोह से हो गई।दोनो तरफ से जमकर गोलियां चलने लगी ।काफी तादात में गुंडे मारे गए।
तभी दूसरी तरफ से नकाब पॉश गुंडों और साधुओं का दल आता नजर आया।एसपी और पुलिस के जवानों ने उन पर भी बंदूके तान दिया ।
तभी उस नकाबपोश ने अपने दोनो हाथ ऊपर उठाते हुए कहा _ एसपी साहब बेकार में गोलियां मत बरबाद कीजिए।मैं लड़ने नही आया हूं।मुझे खजाना चाहिए।आप हमारा साथ दो आपको भी हिस्सा मिलेगा।
इतना खजाना मिलेगा की आपकी सत पुश्ते भी बैठकर खाएंगी तब भी खत्म नही होगा।
।मुझे खजाने का लालच मत दो तुम और चुपचाप आत्म समर्पण कर दो।एसपी ने उस पर बंदूक ताने हुए कहा।
तभी पीछे सो दोनो गुंडों के गिराेहो के लीडर ने कहा सरेंडर मत करना हमलोग साथ साथ है।हमलोग मिलकर पुलिस का सफाया कर देंगे।बाद में खजाना का तीन हिस्सा कर लेंगे।
ठीक है मैं भी तुम सबके साथ हूं ।चलो गोलियां चलाना शुरू करो और सबको चुन चुन कर मार डालो।उस नकाबपोश ने अपनी रिवाल्वर एसपी की तरफ तानते हुए कहा।
इस समय एसपी अपने दस पुलिस के जवानों में साथ एक तहखाने में थे। दोनो तरफ से सुरंग का मुहाना था।दोनो मुहानों पर गुंडों का गिरोह हथियारों सहित तैयार खड़े थे।सुरभी ने कहा_ एसपी साहब इसी गुंडे के कहने पर इस साधु के भेष में गुंडे ने मुझ पर गोली चलाई थी।यही लोग प्रताप को जबरजस्ती लेकर आए थे।लेकिन अभी वो कही दिख नही रहा है ।
एसपी ने कहा _ प्रताप कहा है बताओ वरना मैं गोली चला दूंगा।
एसपी ने अपनी घड़ी का एक बटन दबा दिया ।घड़ी दबते ही जहा तहखाने में उसके बाकी पुलिस के जवान छुपे हुए एक पुलिस अधिकारी की घड़ी में लाल लाइट जलने बुझने लगी ।उसमे एसपी के ठिकाने का भी दिशा और दूरी दिख रही थी।उस पुलिस अधिकारी ने कहा _ चलो सभी एसपी साहब खतरे में है ।और सभी तुरंत वहा से निकलकर घड़ी के दिशा निर्देश पर आगे बढ़ने लगे।इतने में सुरभी के पिता और इंस्पेक्टर अपने पुलिस दल के साथ वहा पहुंच गया।उसने एसपी साहब को देख लिया था की वे दोनो तरफ से घिरे हुए हैं।वो चुपचाप सबको अपनी पोजीसन लेने को कहा । दूसरी तरफ से दूसरी पुलिस की टीम उन दोनो गुंडों के गिरोहों के पीछे आकर चुपचाप खड़ी हो गई और उसने भी अपनी पोजीसन ले लिया। तभी
एसपी ने जोर से चिल्लाकर _ सभी लेट जाओ और फायरिंग करो।
एसपी के साथ पुलिस दल तुरंत जमीन पर लेट गया और दोनो तरफ गुंडों पर हमला बोल दिया।
दोनो तरफ से बाकी पुलिस बल और सुरभी के पिता और इंस्पेक्टर के साथी गोलियां चलाना शुरू कर दिया।
इस अचानक हमला से सभी जुड़े घबड़ा गए।उनको अपने अपने पीछे पुलिस के आने की खबर ही नहीं लगी और वे गोलियों का शिकार होने लगे।
ऊपर से एसपी को टीम जमीन पर लेट कर फायरिंग कर रही थी अपना पोजीसन बदल बदल कर इसलिए उनका निशाना चूक जा रहा था।
एसपी ने कहा सबको केवल घायल करना है।सभी जिंदा चाहिए।
सुरभी ने देखा एक गुंडा अपने बैग से बम निकालकर फेकने वाला था।वो बम पहले से भी ज्यादा शक्तिशाली था।वो चिल्ला उठी एसपी साहब बम से हमला हो रहा है बचिए।
अचानक तहखाने की दीवाल से एक बड़ा दरवाजा खुला और प्रताप नजर आया उसने लपकर सुरभी की बांह पकड़कर एसपी साहब से कहा _ आप लोग आइए जल्दी ।उसने सबको उस दरवाजे के अंदर कर दिया और दरवाजा बंद हो गया।
बचे गुंडे हक्का बक्का सब देखते रह गए।
एसपी साहब और उनकी टीम को बीच से हट जाने से दोनो तरफ तैनात पुलिस को गुंडों के गिरोह पर हमला करना आसान हो गया।कुछ गुंडे पहले ही मारे जा चुके थे।
एसपी साहब के आदेश के बाद सबने गुंडों को टांगो पर निशाना साधना शुरू किया।सभी चीख चीख कर जमीन पर गिरते जा रहे थे।कुछ भागने की कोशिश में मारे गए।
पुलिस ने कुछ ही देर में सभी गुंडों पर काबू पा लिया । उस पुलिस अधिकारी ने अपनी घड़ी और हरे रंग के बटन को दबा दिया।
प्रताप को देखकर सुरभी बहुत खुश हुई।तुम ठीक तो हो उसने प्रताप से पूछा।
हां मैं बिलकुल ठीक हूं लेकिन तुम्हारा कंधा कैसा है ।प्रताप ने पूछा।
ठीक है लेकिन हल्का हल्का दर्द है घाव अभी ताजा है इसलिए।
सुरभी ने कहा।
मैं उस साधु भेषधारी गुंडे को छोडूंगा नही जिसने तुम पर गोली चलाई।प्रताप ने गुस्से में कहा।
शांत हो जाओ प्रताप हमारी पुलिस है न तुम्हारे साथ गुनाहगारों को उचित सजा मिलेगी ।तुमको कानून अपने हाथ में लेने की जरूरत नही है।तभी उनके घड़ी में हरा रंग जलने बुतने लगा।एसपी साहब ने खुश होकर कहा _ सभी गुंडे काबू में कर लिए गए हैं।
दरवाजा खोलो प्रताप मुझे अपने बल के पास जाना है।
प्रताप ने तीन बार ताली बजाई दरवाजा फिर से खुल गया।
सब यह देखकर हैरान रह गए।एसपी ने दरवाजा खुलते ही अपने पुलिस बल से कहा _ घायलों का इलाज जरूरी है और लाशों का पोस्टमार्टम भी ।इसलिए तुम इंस्पेक्टर तुरंत यहां से पांच जवानों को लेकर किले की ऑफिस में जाओ और तुरंत चार एंबुलेंस डॉक्टर और मेडिकल टीम को बुलवाओ और इन सबको हॉस्पिटल भेजो ।
लाशों का पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु अस्पताल भेज दो।
अपनी बेटी सुरभी और प्रताप को देखकर सुरभी के पिता ने काफी राहत महसूस किया।
सबको भेजकर इतिहासकारों और पुरातत्व वेताओ को लेकर अपने दस जवानों को लेकर एसपी ने प्रताप से कहा अब चलो खजाना दिखाओ
साथ में सुरभी और उसके पिता भी थे।
प्रताप सबको लेकर खजाना के पास गया।जहा नीचे सीढ़ी पर नर कंकालों का ढेर लगा हुआ था।प्रताप ने सबको पहले ही बता दिया था की कैसे सावधानी से सीढी चढ़कर ऊपर जाना है।सबने वैसा ही किया और ऊपर खजाना वाले कमरे के पास पहुंच गए।
शेष अगले भाग _ 27 में
लेखक
श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286
Alka jain
14-Feb-2024 07:16 AM
V nice
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Mohammed urooj khan
08-Feb-2024 11:36 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Shnaya
07-Feb-2024 07:35 PM
Nice
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